छत्तीसगढ़ी में भाषा करवाई जाए पीएचडी

भिलाई। राज्य सरकार से छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर एमए छत्तीसगढ़ी के प्रवर्तक और साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से भेंट की। उन्होंने एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारियों को अतिथि व्याख्याता बनाने की पहल किए जाने पर छत्तीसगढ़ सरकार का आभार जताया।  इस दौरान कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को दुर्गा प्रसाद पारकर ने बताया कि एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारी युवाओं को अतिथि व्याख्याता बनाने आदेश जारी करने से एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई कर चुके युवाओं में हर्ष है। दशक भर पहले इस विषय की पढ़ाई शुरू करने की मांग प्रमुख रूप से उठाने वाले और बाद में एमए छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारी युवाओं को शासकीय सेवाओं में भर्ती की मांग करने वाले साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर ने शासन की पहल पर संतोष जताया है। उन्होंने मंत्री अग्रवाल को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने मांग की है कि कला स्नातक में स्वतंत्र विषय के रूप में छत्तीसगढ़ी साहित्य की शुरुआत की जाए,छत्तीसगढ़ी भाषा में पीएचडी स्वीकृत की जाए और छत्तीसगढ़ी भाषा में एम. फिल स्वीकृत की जाए। मंत्री अग्रवाल ने आश्वस्त किया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता  हटने के बाद तमाम विषयों पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। दुर्गा प्रसाद पारकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारी अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति करने 3 अप्रैल 2024 को आदेश जारी किया है। उच्च शिक्षा संचालनालय आयुक्त शारदा वर्मा के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में राज्य के समस्त विश्वविद्यालय के कुलपतियों से कहा गया है कि एमए छत्तीसगढ़ी विषय के अध्यापन हेतु छत्तीसगढ़ी विषय में ही स्नातकोत्तर की योग्यता रखने वाले आवेदकों को अतिथि व्याख्याता के तौर पर चयन की कार्यवाही की जाए। इसे आवश्यकता अनुसार विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों में यथा स्थान संशोधन की कार्रवाई भी की जाए।

उल्लेखनीय है कि दुर्गा प्रसाद पारकर को एमए छत्तीसगढ़ी के प्रवर्तक के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने दशक भर पहले यह मांग उठाई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों में एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई शुरू करवाई थी। वर्तमान में पारकर का लिखा उपन्यास 'बहू हाथ के पानी’ हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग के एम.ए. हिन्दी और हरिशंकर परसाई के व्यंग्य 'मन के संग्रह’ का छत्तीसगढ़ी अनुवाद 'सुदामा के चाँउर’ पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के एम.ए.छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम में शामिल है। वहीं दुर्गा प्रसाद पारकर के कृतित्व पर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग से गजेन्द्र कश्यप व शिवांगी पाठक, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर जगदलपुर से धर्मेन्द्र कुमार पाटनवार और कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर से  गणेश कौशिक पीएचडी कर रहे हैं।


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