नई दिल्ली। अफ्रीकी और कई यूरोपीय देशों के बाद भारत में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है. युवा संक्रमण प्रभावित देश से भारत लौटा है. लक्षण दिखने के बाद उसे आइसोलेशन में रखा गया है. उसके सैम्पल की जांच की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका के कई देश मंकीपॉक्स से प्रभावित हैं और युवा वहां से लौटा था. मंकीपॉक्स का कनेक्शन बंदर से जोड़ा जाता है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि यह 100 फीसदी अनिवार्य नहीं है कि इसका वायरस बंदर से ही फैले. फिर सवाल उठता है कि बीमारी का नाम का बंदरों के नाम पर क्यों और कैसे पड़ा.
अमेरिकन हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट कहती है, इस बीमारी को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता है, लेकिन बाद में इसका नाम एमपाॅक्स किया गया. हालांकि, आम बोलचाल की भाषा में भी एमपॉक्स की जगह इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है.
मंकीपॉक्स में कैसे जुड़ा बंदर का नाम?
एमपाक्स एक जूनोटिक डिजीज है यानी यह जानवरों और इंसानों के बीच फैल सकती है. इसका पहला मामला 1958 में सामने आया था. बंदरों में इसका वायरस मिला था. यही वजह है कि इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स पड़ा, हालांकि यह वायरस इसमें कहां से आया अब तक इसका पता नहीं चल पाया.