रायपुर। न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 के दौरान रविवार को पर्युषण पर्व के दूसरे दिन परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने कहा कि चंदा लेकर भक्ति करने का कोई औचित्य नहीं है। व्यक्ति को खुद के सामर्थ्य के अनुसार पूजा-पाठ करना चाहिए। यदि शक्ति नहीं है तो मंदिर में जाकर अपनी सेवाएं देनी चाहिए, यह भी भक्ति का ही एक रूप है। यदि आपके पास द्रव्यों के साथ पूजन करने की शक्ति नहीं है तो कोई बात नहीं, पूजा करने के लिए द्रव्य का एक कण भी काफी है। ऐसा नहीं है कि केवल पैसा कमाकर ही धर्म किया जा सकता है।
मुनिश्री कहते है कि आज केवल पैसे वाले ही धर्म का लाभ ले रहे हैं यह गलत बात है। आज रसीद के माध्यम से पता चलता है कि कितने रूपयों का कलेक्शन हो चुका है, धर्म को पैसों के साथ तौला जा रहा है। जिसने ज्यादा पैसा दिया उसकी पूछ परख ज्यादा होती है। आज मंदिरों में बड़ी-बड़ी दानपेटी लगाई जा रही है, जिसमें लोग 500 रुपए डाल कर लखपति बनने की प्रार्थना कर रहे हैं जबकि हमें पैसों को छोड़ना है। पैसों के मोह को त्यागना है, इन पैसों को जितनी जल्दी हो सके छोड़ दीजिए। आज तीर्थ स्थल भी व्यक्ति अपनी सहूलियत के अनुसार और स्थानीय सुविधाओं को देखकर जाता है। लेकिन फिर वह तीर्थ यात्रा नहीं कहलाता वह आपका प्रवास हो जाता है। लोग छुट्टियां मनाने धर्म स्थल जाते हैं, खाली दिनों का चयन करते है कि कब बाहर घूम कर आया जाए तो यह धर्म की श्रेणी में नहीं आता। आज आपने दुनिया का इतिहास जान लिया है और आज की आधुनिकता से जुड़े सारे तथ्य आप मुंह जुबानी बता सकते हैं लेकिन तीर्थों के बारे में जब बात करेंगे तो आपको वह नहीं पता होता। जब आपको अपने धर्म के बारे में ही नहीं पता होगा तो आप खुद का कल्याण कैसे कर पाएंगे।
मुनिश्री ने कहा कि आज भागदौड़ हमने खुद ही बढ़ा ली है और इस बीच हम सुकून तलाशते है तो वह कहां से मिलेगा। जबकि इसके उलट आप खुद को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे है। आज आप खुद को दूसरों से अलग और ऊंचा दिखाने के लिए जबरदस्ती की मेहनत कर रहे हो, नहीं तो केवल एक चार दीवारी कमरे में भी आराम से जीवन व्यतीत किया जा सकता है। दो रोटी और कुछ कपड़ों के साथ आराम से सांसारिक जीवन जी सकते है लेकिन यह बात कोई नहीं समझता और दुनिया की भागमभाग में शामिल होकर लोग अपना कीमती समय बर्बाद कर देते है।
आज कल्पसूत्र बोहराने की होगी बोली, 4 सितंबर को होगा प्रभु का जन्म वांचन
मेघराज बेगानी धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के अध्यक्ष धर्मराज जी बेगानी और आत्मकल्याण वर्षावास समिति के अध्यक्ष अजय कानूगा ने बताया कि न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर में सोमवार को कल्पसूत्र बोहराने की बोली होगी और जिसे यह लाभ मिलेगा, चतुर्विंग संघ उनके घर जाकर गाजे-बाजे के साथ उनका स्वागत करेगी। वहीं, 2 सितंबर को निखिल सेठिया, 3 सितंबर को मयंक डागा, 4 सितंबर को भंसाली बाल ग्रुप, 5 सितंबर को सुमीत लोढ़ा, 6 सितंबर को ऋषभ नख्त, 7 सितंबर को राहुल कोचर और 8 एवं 9 सितंबर को गुरू इकतीसा होगी और उसके बाद आमंत्रित गायकों और स्थानीय मंडल की ओर से संगीतमयी प्रभु भक्ति होगी।
इसी कड़ी में आत्मकल्याण वर्षावास 2024 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में भगवान महावीर के जीवन को सूक्ष्मता से जानने का अवसर मिल रहा है। प्रतिदिन सुबह 8ः45 से 9ः45 बजे मंदिर में मुनिश्री की प्रवचनमाला जारी है। मंदिर में दादा गुरूदेव का इकतीसा जाप जारी है, साथ ही 4 सितंबर को जन्म वांचन और स्वामी वात्सल्य का आयोजन रखा गया है। आप सभी इसका अधिक से अधिक लाभ ले और अपने जीवन को सफल बनाएं।