अंबिकापुर। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अंबिकापुर को वायु प्रदूषण नियंत्रण का आदर्श मॉडल बताया है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत जारी की गई है, जिसमें अंबिकापुर के ठोस कचरा प्रबंधन मॉडल की विशेष सराहना की गई है।
दरअसल, अंबिकापुर नगर निगम ने कचरे के प्रबंधन में देशभर के लिए एक अनुकरणीय मिसाल पेश की है। पहले जहां कचरे के डंपिंग यार्ड में परिवहन पर हर महीने 45 लाख रुपए खर्च होते थे, वहीं अब वह पूरी तरह बंद हो गया है। यही नहीं निगम को डंप साइट हटाने से उसी कचरे से अब 12 लाख रुपए और यूजर चार्ज से 16 लाख रुपए कुल मिलाकर 28 लाख रुपए मासिक आमदनी हो रही है।
इस बदलाव के बाद शहर में प्रतिदिन एकत्र होने वाले प्लास्टिक कचरे को निगम तीन बड़ी सीमेंट फैक्ट्रियों के साथ अनुबंध कर सप्लाई कर रहा है। इसके अलावा, प्लास्टिक कचरा खिलौना निर्माण इकाइयों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। अंबिकापुर का प्लास्टिक वेस्ट बलौदाबाजार, सतना जैसे शहरों में भेजा जा रहा है। यह नवाचार न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम है, बल्कि इससे आर्थिक लाभ भी हो रहा है।
ठोस कचरा प्रबंधन में अंबिकापुर बना देश का आदर्श शहर
सीएसई ने देश के 100 से अधिक शहरों के सर्वे के बाद अंबिकापुर को स्वच्छता में बेहतर बताते हुए रिपोर्ट पब्लिश की है। रिपोर्ट में कहा है कि अंबिकापुर अब भारत का पहला जीरो-डंपसाइट शहर बन चुका है। यह उपलब्धि केवल स्वच्छता के क्षेत्र में नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में भी एक मील का पत्थर है।