मनरेगा योजना में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम

 



रायपुर। प्रदेश में जरूरतमंद ग्रामीणों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी लागू की गई है। इस योजना में शामिल ग्रामीणों को जॉब कार्ड दिए जाते हैं। केंद्र सरकार की जांच में यह बात सामने आयी है कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा के फर्जी जॉब कार्ड बना कर सरकारी पैसे का गबन किया जा रहा है। जांच में यह बात सामने आने के बाद पूरे छत्तीसगढ़ में 29 हजार 980 जॉब कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं।

केंद्र सरकार की जांच रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2022-23 में सबसे ज्यादा 14,647 फर्जी जाॅब कार्ड पकड़े गए हैं। इन सभी मामलों में राज्य सरकार को जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है, मगर अब तक किसी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आयी है। इसी तरह वर्ष 2023-24 में 8445 फर्जी जॉब कार्ड सामने आए। राहत की बात यह है कि वर्ष 2024-25 में 6888 फर्जी जॉब कार्ड जांच में मिले। लगातार जांच के बाद गांवों में फर्जी कार्ड बनने का प्रचलन घटा है, मगर माना जा रहा है कि फर्जी जॉब कार्ड बनना बंद नहीं हुआ है। चूंकि योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, परिचालन दिशा-निर्देशों, वार्षिक मास्टर परिपत्र आदि में उचित कार्यान्वयन के प्रावधान निर्धारित किए गए हैं, इसलिए प्राथमिक रूप से संबंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को योजना के कार्यान्वयन में किसी भी अनियमितता के मामले में उचित कार्रवाई करनी होती है, जिसमें कानून के अनुसार मामले की गंभीरता के आधार पर जांच और आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

क्या है योजना

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) एक भारतीय श्रम कानून है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है। इसके तहत, ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान किया जाता है। यह योजना मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों द्वारा लागू की जाती है और ठेकेदारों की भागीदारी प्रतिबंधित है।














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