GST 2.0 पर चिराग पासवान का समर्थन, कांग्रेस की राजनीति पर उठाए सवाल

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश और बिहारवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई GST 2.0 का जोरदार समर्थन किया और इसे जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग की पूर्ति बताया।

पत्रकारों से बात करते हुए पासवान ने कहा, “मैं सभी भारतीयों और बिहारवासियों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। ये माता रानी की भक्ति के दिन हैं और हम प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हमेशा हम पर बनी रहे और सभी की इच्छाएं पूरी हों। लेकिन मैं कहूँगा कि माता रानी की कृपा से, सभी नागरिकों की एक बड़ी इच्छा पहले ही हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरी हो गई है।”

GST 2.0, जो सोमवार से लागू हुई, पुराने कई स्लैब की तुलना में अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% में बदल गई है। इससे 375 से अधिक जरूरी और उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती हो गई हैं। इसे पूरे देश में ‘GST बचत उत्सव’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, खासकर मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों को लाभ पहुँचाने के लिए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा GST पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए पासवान ने कांग्रेस की राजनीतिक मंशा और सुसंगति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “वे असल में क्या चाहते हैं? महंगाई बढ़ाना, GST बढ़ाना? मुझे विपक्ष की स्थिति समझ नहीं आती। आपके राज्य के मुख्यमंत्री खुद इस पर सहमति दे चुके हैं। फिर आप अब हर चीज़ पर राजनीति क्यों कर रहे हैं?”

खड़गे ने पहले X पर पोस्ट करते हुए नई GST सुधारों की आलोचना की थी और पिछले आठ साल में मोदी सरकार पर “गब्बर सिंह टैक्स” के जरिए 55 लाख करोड़ रुपये वसूलने का आरोप लगाया था, जबकि अब सरकार 2.5 लाख करोड़ रुपये के बचत उत्सव से जनता का समर्थन जीतने की कोशिश कर रही है।

पासवान ने इसे “भ्रमित और गुमराह करने वाला” बताया और कहा कि कांग्रेस ने पहले राज्य स्तर पर GST सुधारों का समर्थन किया था, लेकिन अब इसे राजनीति का मुद्दा बना रही है।

उन्होंने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि GST काउंसिल का हिस्सा होने और सुधारों को मंजूरी देने के बाद भी, वे अब झूठी कहानी पेश कर रहे हैं।”

त्योहारों के मौसम और GST 2.0 के तहत कीमतों में राहत के साथ, बीजेपी इसे जनता-प्रधान नीति के रूप में दिखाने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्ष इसे अल्पकालिक लोकप्रियता पाने का कदम बता रहा है।

राज्य चुनावों की तैयारी के बीच, कर सुधार फिर से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है, जो आर्थिक नीति और चुनावी संदेश दोनों को जोड़ता है।


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