लोकसभा में गूँजा बृजमोहन अग्रवाल का स्वर: राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता पर शुरू हुई नई बहस

 


नई दिल्ली/रायपुर 6 दिसंबर रायपुर लोकसभा के लोकप्रिय सांसद, संवेदनशील जननायक और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने आज लोकसभा में राष्ट्रीय जनसंख्या दर (TFR) जैसे अत्यंत महत्व के विषय पर जब मुद्दा उठाया, तो सदन से लेकर देशभर में इस विषय पर गंभीर बहस को नई गति मिली।

अग्रवाल ने लोकसभा में  सवाल उठाया कि, छत्तीसगढ़ समेत देशभर में राष्ट्रीय कुल प्रजनन दर क्या है, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और इससे संबंधित सरकार की नीतियों की जानकारी मांगी।

जिस पर केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 के विस्तृत आंकड़े प्रस्तुत किए, जिनके अनुसार देश की कुल प्रजनन दर 1.9 तक पहुँच चुकी है। यह स्थिति आने वाले वर्षों में जनसंख्या संतुलन, कार्यबल क्षमता, मातृ-शिशु स्वास्थ्य तथा सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

छत्तीसगढ़ में कुल प्रजनन दर 2.2 है, यहां ग्रामीण क्षेत्रों में 2.5 और शहरी क्षेत्र में 1.6 है। देश में सबसे ज्यादा प्रजनन दर  बिहार में 2.8 जबकि सबसे कम दिल्ली में 1.2 है। 

टीएफआर में सबसे बिहार के बाद उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है।

सांसद अग्रवाल ने न केवल शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों के TFR अंतर, बल्कि राज्यों के अनुसार घटते-बढ़ते आँकड़ों पर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उनकी यह दृढ़ और तथ्यपरक पहल दर्शाती है कि वे केवल रायपुर ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की भावी जनसांख्यिकीय सुरक्षा के लिए सजग हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी समय-समय पर समाज से तीन बच्चे रखने की अपील करते रहे हैं, ताकि भविष्य में किसी प्रकार का जनसंख्या असंतुलन न उत्पन्न हो। बृजमोहन अग्रवाल द्वारा लोकसभा में उठाया गया यह प्रश्न इसी व्यापक राष्ट्रीय विमर्श को तथ्यात्मक, विश्वसनीय और नीति-उन्मुख आधार प्रदान करता है।

सरकार द्वारा प्रस्तुत उत्तर में मातृ-शिशु स्वास्थ्य, पोषण, प्रसूति सेवाओं, गर्भधारण एवं अंतराल से जुड़ी योजनाओं पर विस्तृत विवरण दिया गया। यह स्पष्ट संकेत है कि अग्रवाल द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल समय की माँग हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य व्यवस्था और जनसंख्या नीति को मजबूत करने के दिशा-निर्देशक भी हैं।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल हमेशा से उन जनप्रतिनिधियों में रहे हैं जो “मुद्दे उठाते नहीं—मुद्दों को दिशा देते हैं।”

राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता पर उनकी यह पहल दूरदर्शिता, ज्ञान और राष्ट्रहित के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

उनका यह प्रयास स्पष्ट करता है कि भारत का भविष्य सुरक्षित रखने की दिशा में वे संसद से लेकर समाज तक अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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