अब देश के शहरों में महकेगी छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की खुशबू, गढ़ कलेवा की खोली जाएगी चेन


रायपुर। प्रदेश के बड़े शहरों में गढ़ कलेवा का प्रयोग सफल रहा है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की चाहत रखने वालों के लिए गढ़ कलेवा पसंदीदा जगह बन गया है। ऐसे में प्रदेश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इसका विस्तार देश के महानगरों में भी किए जाने की तैयारी है। देश के प्रमुख शहरों में गढ़ कलेवा की चेन खोलने की तैयारी है। दरअसल, राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ अंजेार विजन@2047 का डाक्यूमेंट तैयार किया है। इसमें कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई लक्ष्य तय किए गए हैं। इसमें गढ़ कलेवा भी प्रमुख है।

महानगरों में गढ़ कलेवा शुरू करने के कई फायदे हैं। यह न केवल छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को बढ़ावा देता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति को भी संरक्षित करता है। इसके साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाता है। इसके अतिरिक्त यह पर्यटन को भी बढ़ावा देता है और एक विशिष्ट पहचान बनाता है।

कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में भी जोड़ने की तैयारी है। पारंपरिक कलाओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने से युवा पीढ़ी में कला के प्रति जागरूकता के साथ ही राज्य में कला प्रोत्साहन की दिशा में भी यह एक अनूठा प्रयास साबित होगा। स्कूली पाठ्यक्रम में सांस्कृतिक अध्ययन को शामिल कर और इसके लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने से छात्र अपनी विरासत को भली भांति समझ पाएंगे तथा अपनी परपराओं से गहरा अंतर्संबंध भी विकसित कर पाएंगे। यह एकीकरण पारंपरिक कलाओं के प्रति रुचि विकसित करने और कौशल को बनाए रखने में मददगार साबित होगा।

इन बिंदुओं पर भी होगा काम

गहन फील्डवर्क के माध्यम से लुप्तप्राय कला शैलियों के संरक्षण की दिशा में पहल।

कलाकारों के समर्थन, सहायता तथा कला प्रसारण को सक्षम करने के लिए शिक्षार्थी और मास्टर सहायता योजना।

प्राथमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में कला और संस्कृति के अध्यायों को शामिल करना।

सभी अमूर्त संपत्तियों के लिए डिजिटल संग्रह प्रणाली और पुस्तकालय, भारत के अभिलेख पोर्टल के साथ एकीकरण किया जाना।

राज्य के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को भारत के एक प्रमुख कला विश्वविद्यालय की तर्ज पर विकसित करना, जो पारंपरिक कलाओं के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार करेगा।

निजी ब्रांडों और डिजाइनरों के साथ छत्तीसगढ़ से प्रेरित कला से संबंधित वस्तुओं की एक श्रृंखला का शुभारंभ करना।

छत्तीसगढ़ में शूट की गई फिल्मों के लिए प्रोत्साहन के साथ फिल्म पर्यटन नीति, राज्य की कला और संस्कृति को चित्रित करने वाली फिल्मों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाना।

मेले, पारंपरिक छत्तीसगढ़ी पोशाक और साप्ताहिक बाजारों का संवर्धन करना।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी कला, संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प बाजार और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल से सुसज्जित एक मेगा सांस्कृतिक उत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन करना।

छत्तीसगढ़ के गढ़ कलेवा का महानगरों तक विस्तार, जहां राज्य की जनजातीय कला, नृत्य, संगीत का भी प्रचार संभव हो सके।



Post a Comment

Previous Post Next Post