नई दिल्ली। भारतीय पर्व दीपावली को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। इसे यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है। यह निर्णय यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय समिति की बैठक में लिया गया। इससे भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर विशिष्ट मान्यता मिली है। भारत के उपराष्ट्रपति, सीपी राधाकृष्णन ने दीपावली को लेकर किए गए यूनेस्को के इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस निर्णय को एक गौरवशाली क्षण बताया है।
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने बुधवार को इस निर्णय पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने के फैसले का हर्षपूर्वक स्वागत किया है। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने इसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का अत्यंत गौरवशाली क्षण बताया।
उपराष्ट्रपति ने अपने एक आधिकारिक संदेश में कहा कि दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत उत्सव है। यह एक ऐसा सभ्यतागत उत्सव है, जो पूरे देश को एक सूत्र में बांधता है। दीपावली पर्व की गूंज विश्व स्तर पर सुनाई देती है। उन्होंने उल्लेख किया कि यह पर्व भारत की बहुसांस्कृतिक परंपराओं, बहुलतावाद और सामाजिक एकता का जीवंत प्रतीक है।
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि दीपावली आशा, सद्भाव और अंधकार पर प्रकाश तथा अधर्म पर धर्म की विजय का शाश्वत संदेश देती है। यह पर्व मानवता के लिए शांति, सौहार्द और नैतिक मूल्यों का मार्गदर्शन करता है।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसके सार्वकालिक मानवीय संदेश का वैश्विक स्तर पर उत्सव है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह मान्यता आने वाली पीढ़ियों को भारतीय परंपराओं को समझने और संरक्षित करने के लिए प्रेरित करेगी।
दीपावली पर्व को नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया। इस शिलालेख को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल, संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और 194 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और यूनेस्को के वैश्विक नेटवर्क के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपनाया गया।
शेखावत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि यह शिलालेख भारत और विश्वभर के उन समुदायों के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है जो दीपावली की शाश्वत भावना को जीवित रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह त्योहार ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के सार्वभौमिक संदेश का प्रतीक है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की भावना को दर्शाता है और आशा, नवजीवन तथा सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है।
वहीं, संस्कृति मंत्रालय ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह शिलालेख भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के बारे में वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देगा तथा भावी पीढ़ियों के लिए समुदाय-आधारित परंपराओं की रक्षा के प्रयासों को सुदृढ़ करेगा।
