रायपुर। छत्तीसगढ़ की लोक कला, संस्कृति और परंपराओं का जादू दिल्ली के भारत मंडपम में सोमवार को छाया रहा। 44वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में रजत जयंती वर्ष के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ। इसमें लोक कलाकारों ने अपनी पारंपरिक नृत्य-शैली और गीत-संगीत की प्रस्तुति से दिल्ली के दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में उत्साह, ऊर्जा और मनोरंजन देखते ही बन रहा था।
कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि देश की राजधानी में ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ की गूंज सुनकर हर छत्तीसगढ़वासी गर्व महसूस करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रायपुर में देश के पहले डिजिटल जनजातीय संग्रहालय के लोकार्पण का उल्लेख करते हुए इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ कला, संस्कृति, तीज-त्योहार और पारंपरिक लोक-शैलियों की समृद्ध भूमि है। राज्य सरकार बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों के माध्यम से लोक-संस्कृति को नए आयाम देने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, कमलेश जांगड़े व भोजराज नाग, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, पर्यटन मंडल के अध्यक्ष नीलू शर्मा, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा, विधायक संपत अग्रवाल व प्रबोध मिंज, सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज झा, मुख्य सचिव विकास शील, पर्यटन सचिव रोहित यादव, सीएसआईडीसी के महाप्रबंधक विश्वेश कुमार उपस्थित थे।
दर्शक तालियां बजाकर कलाकारों का बढ़ाते रहे उत्साह
इस दौरान गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ नृत्य, पंथी और करमा नृत्य जैसी लोक-शैलियों की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुआ नृत्य की लयात्मक अभिव्यक्ति, राउत नाचा की जोशीली ताल और पंथी की आध्यात्मिक छटा ने छत्तीसगढ़ की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन करते रहे।
